Ab bacha hi kya hai

Song Created By @Saksham With AI Singing

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Ab bacha hi kya hai
created by Saksham
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Ab bacha hi kya hai
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音乐详情

歌词文本

(अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  
जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले )  
Chorus 
अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  
जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले 
Verse 1
ये न समझे थे कि ये दिन भी हैं आने वाले,
उँगलियाँ हम पे उठाएँगे उठाने वाले।  
(उँगलियाँ हम पे उठाएँगे उठाने वाले) 
कौन समझाए इन्हें इतरा के न यूँ चलिए,  
हैं ये अंदाज़ गुनहगार बनाने वाले।  
(हैं ये अंदाज़ गुनहगार बनाने वाले) 
Chorus 
अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  
जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले। 
Verse 2
पूछने तक को न आया कोई अल्लाह अल्लाह,  
(पूछने तक को न आया कोई अल्लाह अल्लाह)
पूछने तक को न आया कोई अल्लाह अल्लाह,
थक गए पाँव की ज़ंजीर बजाने वाले।  
(थक गए पाँव की ज़ंजीर बजाने वाले) 
कहीं रोना न पड़ जाए तुझे भी मेरे संग, 
अरे ओ वक़्त की झंकार पे गाने वाले।
( अरे ओ वक़्त की झंकार पे गाने वाले) 
Chorus
अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  
जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले। 
Verse 3
आप अंदाज़-ए-नज़र अपना बदलते ही नहीं  
और बुरे बनते हैं हमवार ज़माने वाले। 
(और बुरे बनते हैं हमवार ज़माने वाले) 
पूछता है दर-ओ-दीवार से ये बिस्मिल 
कहाँ हैं अब वो मेरे नाज़ उठाने वाले
(कहाँ हैं अब वो मेरे नाज़ उठाने वाले) 
अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  
जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले... 
जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले... जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले...

音乐风格描述

Sad ballad

歌词语言

Hindi

Emotional Analysis

The song evokes a deep sense of sadness, loss, and resignation. The lyrics convey feelings of abandonment and hopelessness, resonating with listeners who have experienced similar emotions.

Application Scenarios

This song is suitable for moments of introspection, reflection, or when grappling with loss or despair. It could be played during quiet evenings or whenever someone needs a moment to process emotional pain.

Technical Analysis

The lyrics utilize metaphoric language to express complex emotions related to despair and helplessness. The repetitive structure of the chorus emphasizes the main theme of loss and the futility of waiting for saviors. The use of rhetorical questions adds depth to the narrative, creating a poignant atmosphere.

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(अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले )  Chorus अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले Verse 1 ये न समझे थे कि ये दिन भी हैं आने वाले, उँगलियाँ हम पे उठाएँगे उठाने वाले।  (उँगलियाँ हम पे उठाएँगे उठाने वाले) कौन समझाए इन्हें इतरा के न यूँ चलिए,  हैं ये अंदाज़ गुनहगार बनाने वाले।  (हैं ये अंदाज़ गुनहगार बनाने वाले) Chorus अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले। Verse 2 पूछने तक को न आया कोई अल्लाह अल्लाह,  (पूछने तक को न आया कोई अल्लाह अल्लाह) पूछने तक को न आया कोई अल्लाह अल्लाह, थक गए पाँव की ज़ंजीर बजाने वाले।  (थक गए पाँव की ज़ंजीर बजाने वाले) कहीं रोना न पड़ जाए तुझे भी मेरे संग, अरे ओ वक़्त की झंकार पे गाने वाले। ( अरे ओ वक़्त की झंकार पे गाने वाले) Chorus अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले। Verse 3 आप अंदाज़-ए-नज़र अपना बदलते ही नहीं  और बुरे बनते हैं हमवार ज़माने वाले। (और बुरे बनते हैं हमवार ज़माने वाले) पूछता है दर-ओ-दीवार से ये बिस्मिल कहाँ हैं अब वो मेरे नाज़ उठाने वाले (कहाँ हैं अब वो मेरे नाज़ उठाने वाले) अब बचा ही क्या है जो आए हैं बचाने वाले,  जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले... जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले... जाँ से  गुजर चुके हैं वो जान से जाने वाले...