(Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, (रंजिश ही सही दिल ही दुखाने) आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। (आ फिर से मुझे छोड़ के जाने) --- (Verse 1) कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख, (कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का) तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ। (तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ) --- (Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। --- (Verse 2) पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो, (पहले से मरासिम न सही फिर भी) रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ। (रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ) --- (Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। --- (Verse 3) किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम, (किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम) तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ। (तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ) --- (Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। --- (Verse 4) इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूम, (इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या) ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ। (ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ) --- (Verse 5) अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़ह्म को तुझ से हैं उमीदें, (अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़ह्म को) ये आख़िरी शम'एँ भी बुझाने के लिए आ। (ये आख़िरी शम'एँ भी बुझाने के लिए आ) --- (Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।
Traditional qawwali rhythms
Urdu
The song conveys a deep sense of longing, sorrow, and emotional complexity. The repeated plea for an ex-lover to return, even just to cause pain, illustrates a paradoxical yearning that resonates with themes of love, separation, and emotional dependence.
This song can be applied to situations of heartbreak, longing, and emotional conflict, making it suitable for moments of reflection or when experiencing a breakup. It can be used in film soundtracks, poetry readings, or intimate musical gatherings.
The technical aspects include classical Urdu poetic forms and structure, likely employing the ghazal style with refrains and couplets. The song features intricate rhyme schemes, emotional depth through metaphoric language, and traditional South Asian melodic patterns accompanied by qawwali instrumentation such as harmonium, tabla, and voice embellishments.
(Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, (रंजिश ही सही दिल ही दुखाने) आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। (आ फिर से मुझे छोड़ के जाने) --- (Verse 1) कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का भरम रख, (कुछ तो मिरे पिंदार-ए-मोहब्बत का) तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ। (तू भी तो कभी मुझ को मनाने के लिए आ) --- (Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। --- (Verse 2) पहले से मरासिम न सही फिर भी कभी तो, (पहले से मरासिम न सही फिर भी) रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ। (रस्म-ओ-रह-ए-दुनिया ही निभाने के लिए आ) --- (Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। --- (Verse 3) किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम, (किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम) तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ। (तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ) --- (Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ। --- (Verse 4) इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या से भी महरूम, (इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिर्या) ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ। (ऐ राहत-ए-जाँ मुझ को रुलाने के लिए आ) --- (Verse 5) अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़ह्म को तुझ से हैं उमीदें, (अब तक दिल-ए-ख़ुश-फ़ह्म को) ये आख़िरी शम'एँ भी बुझाने के लिए आ। (ये आख़िरी शम'एँ भी बुझाने के लिए आ) --- (Chorus) रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ।