या मुझे अफसर ए सहाना बनाया होता

Song Created By @Saksham With AI Singing

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या मुझे अफसर ए सहाना बनाया होता
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歌词文本

या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता
या मिरा ताज गदायाना बनाया होता
अपना दीवाना बनाया मुझे होता तू ने
क्यूँ ख़िरद-मंद बनाया न बनाया होता
ख़ाकसारी के लिए गरचे बनाया था मुझे
काश ख़ाक-ए-दर-ए-जानाना बनाया होता
नश्शा-ए-इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझ को
उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता
दिल-ए-सद-चाक बनाया तो बला से लेकिन
ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीं का तिरे शाना बनाया होता
सूफ़ियों के जो न था लायक़-ए-सोहबत तो मुझे
क़ाबिल-ए-जलसा-ए-रिंदाना बनाया होता
था जलाना ही अगर दूरी-ए-साक़ी से मुझे
तो चराग़-ए-दर-ए-मय-ख़ाना बनाया होता
शोला-ए-हुस्न चमन में न दिखाया उस ने
वर्ना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता
रोज़ मामूरा-ए-दुनिया में ख़राबी है 'ज़फ़र'
ऐसी बस्ती को तो वीराना बनाया होता

音乐风格描述

Gajal

歌词语言

Urdu

Emotional Analysis

The lyrics convey a deep sense of longing, nostalgia, and a yearning for love and recognition. It captures feelings of sadness intertwined with beauty, exploring themes of unfulfilled desires and the complexities of romantic passion.

Application Scenarios

This song is suitable for intimate gatherings, poetry readings, or moments of reflection and nostalgia. It resonates well in settings that appreciate classical poetry and emotive lyrics, such as cultural festivals or art exhibitions.

Technical Analysis

The song employs traditional Urdu poetic forms with a rich use of metaphor and imagery. The rhyme scheme and meter are consistent with classical ghazals, while the use of first-person narrative creates an intimate connection with the listener, enhancing the emotional weight of the expression.

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Chorus कोई तो हो... कोई तो हो दिल के साज़ में सदा कोई तो हो (कोई तो हो... कोई तो हो) Verse 1 न हरीफ़-ए-जाँ न शरीक-ए-ग़म, शब-ए-इंतिज़ार कोई तो हो, किसे बज़्म-ए-शौक़ में लाएँ हम, दिल-ए-बे-क़रार कोई तो हो Chorus: कोई तो हो... कोई तो हो दिल के साज़ में सदा कोई तो हो Verse 2 किसे ज़िंदगी है अज़ीज़ अब, किसे आरज़ू-ए-शब-ए-तरब, मगर ऐ निगार-ए-वफ़ा तलब, तिरा एतिबार कोई तो हो Chorus कोई तो हो, कोई तो हो दिल के साज़ में सदा कोई तो हो Verse 3 कहीं तार-ए-दामन-ए-गुल मिले, तो ये मान लें कि चमन खिले, कि निशान फ़स्ल-ए-बहार का, सर-ए-शाख़-सार कोई तो हो Chorus: कोई तो हो... कोई तो हो... दिल के साज़ में सदा कोई तो हो... Verse 4 ये उदास उदास से बाम ओ दर, ये उजाड़ उजाड़ सी रह-गुज़र, चलो हम नहीं न सही मगर, सर-ए-कू-ए-यार कोई तो हो... (सर-ए-कू-ए-यार कोई तो हो) Chorus: कोई तो हो... कोई तो हो... दिल के साज़ में सदा कोई तो हो Verse 5 सर-ए-मक़्तल-ए-शब-ए-आरज़ू, रहे कुछ तो इश्क़ की आबरू, जो नहीं अदू तो 'फ़राज़' तू, कि नसीब-ए-दार कोई तो हो... (नसीब-ए-दार कोई तो हो) Chorus कोई तो हो... कोई तो हो... दिल के साज़ में सदा कोई तो हो..

या मुझे अफसर ए सहाना बनाया होता-Saksham-AI-singing
या मुझे अफसर ए सहाना बनाया होता

या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता या मिरा ताज गदायाना बनाया होता अपना दीवाना बनाया मुझे होता तू ने क्यूँ ख़िरद-मंद बनाया न बनाया होता ख़ाकसारी के लिए गरचे बनाया था मुझे काश ख़ाक-ए-दर-ए-जानाना बनाया होता नश्शा-ए-इश्क़ का गर ज़र्फ़ दिया था मुझ को उम्र का तंग न पैमाना बनाया होता दिल-ए-सद-चाक बनाया तो बला से लेकिन ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीं का तिरे शाना बनाया होता सूफ़ियों के जो न था लायक़-ए-सोहबत तो मुझे क़ाबिल-ए-जलसा-ए-रिंदाना बनाया होता था जलाना ही अगर दूरी-ए-साक़ी से मुझे तो चराग़-ए-दर-ए-मय-ख़ाना बनाया होता शोला-ए-हुस्न चमन में न दिखाया उस ने वर्ना बुलबुल को भी परवाना बनाया होता रोज़ मामूरा-ए-दुनिया में ख़राबी है 'ज़फ़र' ऐसी बस्ती को तो वीराना बनाया होता