Bhagwan Teri Sharan Me

Song Created By @Chander Kant With AI Singing

音樂音頻

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Bhagwan Teri Sharan Me
created by Chander Kant
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Bhagwan Teri Sharan Me
created by Chander Kant

音樂詳情

歌詞文本

(Verse 1)
Bhagwan teri sharan mein, aaya hoon main aaj,
Dil se pukarta hoon, bas tera hai saath.
Har dukh, har sukh, sab tujhmein samaaye,
Tere charnon mein, sab kuch paaya hai.
(Chorus)
Bhagwan teri sharan mein, man ko shanti milti hai,
Tere bina is jeevan mein, koi raah nahi dikhti hai.
Tere naam ki mala japu, tu hi mera aasra hai,
Bhagwan teri sharan mein, man ko sukh paata hai.
(Verse 2)
Teri kripa se jeevan sukhmayi ho jaaye,
Andhera chhode, roshni ka deepak jal jaaye.
Har manzil par tera haath bana rahe,
Har kadam pe tu mera saath bana rahe.
(Chorus)
Bhagwan teri sharan mein, man ko shanti milti hai,
Tere bina is jeevan mein, koi raah nahi dikhti hai.
Tere naam ki mala japu, tu hi mera aasra hai,
Bhagwan teri sharan mein, man ko sukh paata hai.
(Bridge)
Teri leela apar hai, samajh na paaye koi,
Tu hi hai antaryami, tu hi saare sukhon ki joi.
Tere charanon mein bas itna vardaan paayein,
Tera naam lete hum ye jeevan safal banaayein.
(Chorus)
Bhagwan teri sharan mein, man ko shanti milti hai,
Tere bina is jeevan mein, koi raah nahi dikhti hai.
Tere naam ki mala japu, tu hi mera aasra hai,
Bhagwan teri sharan mein, man ko sukh paata hai.
(Outro)
Bhagwan teri sharan mein…
Man ko sukh paata hai…
---

音樂風格描述

Devotional

歌詞語言

Hindi

Emotional Analysis

The song evokes feelings of devotion, peace, and surrender. It expresses a deep emotional connection to the divine, conveying themes of solace, hope, and reliance on a higher power. The repeated affirmations provide comfort and reassurance, enhancing a sense of tranquility.

Application Scenarios

This song is suitable for personal meditation sessions, devotional gatherings, and spiritual events. It can be played during prayer rituals, yoga sessions, or any reflective practices aimed at finding inner peace and connecting with the divine.

Technical Analysis

Lyrically, the song features a simple yet profound structure with repetitive choruses that reinforce its themes. The verses create a narrative of seeking guidance and strength from the divine. The language and imagery used are typical of devotional music, aimed at eliciting an emotional response. The lyrics incorporate rhymes and rhythmic patterns conducive to singing, making it accessible for a wide audience.

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सहर और शाम से कुछ यूँ गुज़रता जा रहा हूँ मैं, कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- तमन्ना-ए-मुहाल-ए-दिल को जज़्ब-ए-ज़िंदगी कर के, फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं") गुल-ए-रंगीँ ये कहता है कि खिलना हुस्न खोना है, मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- मिरा दिल भी अजब इक सागर-ए-ज़ौक़-ए-तमन्ना है, कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं") कहाँ तक एतिबार-ए-जान-ओ-जानों का तअल्लुक़ है, सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- जवानी जा रही है और मैं महव-ए-तमाशा हूँ, उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं") बहुत ऊँचा उड़ा लेकिन अब इस ओज-ए-तख़य्युल से, किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- 'नुशूर' आख़िर कहाँ तक फ़िक्र-ए-दुनिया दिल दुखाएगी, ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं") [Final Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") ग़म-ए-हस्ती को यूँ ही सजा बनाएँगे, ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है। (Group echoes "ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है")

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Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM

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Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM

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(Verse 1) शिव की महिमा, अनंत है उसकी शक्ति, कैलाश पर्वत पर विराजे, वो है सच्ची भक्ति। जटाओं में गंगा, तांडव में लय, ब्रह्मा और विष्णु, उसके चरणों में बहे। (Chorus) ओम नमः शिवाय, ये है मंत्र सच्चा, हर संकट में साथ, वो है सदा हमारा रक्षक। ध्यान में उसकी छवि, शांति का अनुभव, भक्तों की पुकार में, सुनता वो हर स्वर। (Verse 2) सिर पर चंद्रमा, त्रिशूल हाथ में, नागों की माला, वो है अद्भुत स्वभाव में। आग में जलते, फिर भी वो है ठंडा, महाकाल का रूप, सबको देता है संजीवनी। (Chorus) ओम नमः शिवाय, ये है मंत्र सच्चा, हर संकट में साथ, वो है सदा हमारा रक्षक। ध्यान में उसकी छवि, शांति का अनुभव, भक्तों की पुकार में, सुनता वो हर स्वर। (Bridge) दुनिया की परेशानियाँ, वो करता दूर, भक्ति में लीन होकर, मिलता है सच्चा नूर। शिवरात्रि की रात, जब भक्त करते हैं ध्यान, हर दिल में बसी है, भोलेनाथ की पहचान। (Outro) शिव की भक्ति में, है एक अलग ही जादू, हर मन को भाए, हर दिल को दे सुकून। ओम नमः शिवाय, सदा रहे तेरा नाम, तेरी कृपा से ही, हम सब हैं एकत्रित इस धाम।

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Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ mein Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. (Refrain) Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein (Refrain) Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel (Refrain) OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM

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oṃ dzambhala dzalen drayé siddhi hūng oṃ dzambhala dzalen drayé dhana médhi sarwa siddhi hūng oṃ dzambhala dzalen drayé hūng hrīh siddhi pala hūng hrīh oṃ dzambhala mamā sarwa siddhi hūng oṃ dzambhala yé sōhā oṃ dzambhala dzalen drayé sarwa siddhi pala hūng āh oṃ dzambhala dzalen drayé hūng oṃ dzambhala dzalen drayé dhana sōhā oṃ dzambhala dzalen drayé sōhā oṃ āh hūng buddha benza ratna pema karma dzambhala siddhi pala hūng oṃ dzambhala dzalen drayé sōhā oṃ dzambhala dzalen drayé hrīh dhana médhi hūng sōhā

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మా బంగారు అయ్యప్ప

1. మొదటి మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 2. రెండో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 3. మూడో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 4. నాలుగో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 5. ఐదో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 6. ఆరో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 7. ఏడో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 8. ఎనిమిదో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 9. తొమ్మిదో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 10. పదో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 11. పదకొండో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 12. పన్నెండో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 13. పదమూడు మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 14. పద్నాలుగో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 15. పదిహేనో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 16. పదహారో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 17. పదిహేడో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప 18. పద్దెనిమిదో మెట్టు యెక్కా శరణం సువర్ణ అయ్యప్పా, ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, నా ప్రభూ, సువర్ణ అయ్యప్పా, స్వామి లేకుండా శరణం లేదు అయ్యప్ప

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LAGU MAAHAD

KAMI PELAJAR MAHAD DARUSSALAM SANGGUP MENCURAH TAAT SETIA TERHADAP ISLAM AGAMA MULIA SESAMA KITA BERKASIH MESRA SESAMA KITA BERKASIH MESRA KAMI PELAJAR MAHAD DARUSSALAM KEPADA MAHAD DAN GURU SEMUA RAJIN DAN TEKUN SETIAP MASA DEMI KEJAYAAN KITA BERSAMA DEMI KEJAYAAN KITA BERSAMA DEMI KEJAYAAN DEMI KEJAYAAN MAHAD TERCINTA.