Sahar aur sham se kuch yun

Song Created By @Saksham With AI Singing

音樂音頻

Cover
Sahar aur sham se kuch yun
created by Saksham
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Sahar aur sham se kuch yun
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音樂詳情

歌詞文本

सहर और शाम से कुछ यूँ गुज़रता जा रहा हूँ मैं,
कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं।
(Group repeats: "कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं")
[Chorus]
हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है,
हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है।
(Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है")
---
तमन्ना-ए-मुहाल-ए-दिल को जज़्ब-ए-ज़िंदगी कर के,
फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं।
(Group repeats: "फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं")
गुल-ए-रंगीँ ये कहता है कि खिलना हुस्न खोना है,
मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं।
(Group repeats: "मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं")
[Chorus]
हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है,
हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है।
(Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है")
---
मिरा दिल भी अजब इक सागर-ए-ज़ौक़-ए-तमन्ना है,
कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं।
(Group repeats: "कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं")
कहाँ तक एतिबार-ए-जान-ओ-जानों का तअल्लुक़ है,
सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं।
(Group repeats: "सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं")
[Chorus]
हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है,
हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है।
(Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है")
---
जवानी जा रही है और मैं महव-ए-तमाशा हूँ,
उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं।
(Group repeats: "उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं")
बहुत ऊँचा उड़ा लेकिन अब इस ओज-ए-तख़य्युल से,
किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं।
(Group repeats: "किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं")
[Chorus]
हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है,
हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है।
(Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है")
---
'नुशूर' आख़िर कहाँ तक फ़िक्र-ए-दुनिया दिल दुखाएगी,
ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं।
(Group repeats: "ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं")
[Final Chorus]
हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है,
हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है।
(Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है")
ग़म-ए-हस्ती को यूँ ही सजा बनाएँगे,
ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है।
(Group echoes "ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है")

音樂風格描述

Sufi melody

歌詞語言

Hindi

Emotional Analysis

The song carries a deep emotional resonance, exploring themes of longing, existential struggle, and the duality of living and dying simultaneously. It evokes feelings of introspection, yearning, and a complex relationship with life's joys and sorrows.

Application Scenarios

This song can be applied in various scenarios such as reflective moments, personal growth experiences, or environments where emotional depth is appreciated, such as cafes, poetry readings, or spiritual gatherings. It is suitable for individuals seeking solace or understanding in their emotions.

Technical Analysis

The song employs rich imagery and metaphoric language, characteristic of Sufi poetry. It incorporates repetitive chorus lines for emphasis and emotional engagement, creating a meditative and reflective ambiance. The melodic structure likely emphasizes mystic scales, enhancing the overall spiritual experience.

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Shaadi Male

(MALE ) In the cradle of dawn, where the river's song flows, A child sits in her garden, where the marigold grows. Her dreams are like stars, untouched by night, Her laughter like birds, in their innocent flight. Yet the wind whispers tales, of a shadowed fate, A bride in the bud, her childhood's gate. The bindis, the bangles, the red of her veil, Cover the spark that no words can unveil. Why must the bloom be plucked from its stem, Before the morning has whispered to them? Why must the anklet, so heavy and cold, Bind the young feet, before they are old? O Mother, O Father, why hasten the day, When the blossoms of youth are stolen away? Let the river of time in its own course flow, Let the child in her garden, in her innocence, grow. And one day, the world will be hers to embrace, And the shadows of the past, she will then erase. But for now, let her be, in her garden so wild, Let her live, let her breathe, for she is still a child.

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(MALE ) In the cradle of dawn, where the river's song flows, A child sits in her garden, where the marigold grows. Her dreams are like stars, untouched by night, Her laughter like birds, in their innocent flight. Yet the wind whispers tales, of a shadowed fate, A bride in the bud, her childhood's gate. The bindis, the bangles, the red of her veil, Cover the spark that no words can unveil. Why must the bloom be plucked from its stem, Before the morning has whispered to them? Why must the anklet, so heavy and cold, Bind the young feet, before they are old? O Mother, O Father, why hasten the day, When the blossoms of youth are stolen away? Let the river of time in its own course flow, Let the child in her garden, in her innocence, grow. And one day, the world will be hers to embrace, And the shadows of the past, she will then erase. But for now, let her be, in her garden so wild, Let her live, let her breathe, for she is still a child.

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सहर और शाम से कुछ यूँ गुज़रता जा रहा हूँ मैं, कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- तमन्ना-ए-मुहाल-ए-दिल को जज़्ब-ए-ज़िंदगी कर के, फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं") गुल-ए-रंगीँ ये कहता है कि खिलना हुस्न खोना है, मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- मिरा दिल भी अजब इक सागर-ए-ज़ौक़-ए-तमन्ना है, कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं") कहाँ तक एतिबार-ए-जान-ओ-जानों का तअल्लुक़ है, सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- जवानी जा रही है और मैं महव-ए-तमाशा हूँ, उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं") बहुत ऊँचा उड़ा लेकिन अब इस ओज-ए-तख़य्युल से, किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- 'नुशूर' आख़िर कहाँ तक फ़िक्र-ए-दुनिया दिल दुखाएगी, ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं") [Final Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") ग़म-ए-हस्ती को यूँ ही सजा बनाएँगे, ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है। (Group echoes "ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है")

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(Verse 1) Aankhon mein teri, qamar ka noor hai jaise Chehre pe tere, hoor ki jhalak, aise Dil mein meri, tere liye ishq beshumar Meri hayat, meri dunya, meri noor-e-nazar (Chorus) Meri habibi, meri jaan, karo mujhe qubool Saath chalenge hum dono, har mushkil se door Tere sang zindagi bitana chahta hoon Tere bina ek pal bhi, main nahi reh sakta hoon (Verse 2) Tere baalon ki ghata, jaise shab-e-yaldah Tere lehje ki mithas, jaise shahad ka firdous Tere muskan mein kho jaata hoon, jaise koi aashiq Tere bina main tanha, jaise phool be-rang (Chorus) Meri habibi, meri jaan, karo mujhe qubool Saath chalenge hum dono, har mushkil se door Tere sang zindagi bitana chahta hoon Tere bina ek pal bhi, main nahi reh sakta hoon (Bridge) College ke deewaron mein, likhi hai hamari kahani Ishq ki kitaaben mein, hoga tere mere naam ki nishani (Chorus) Meri habibi, meri jaan, karo mujhe qubool Saath chalenge hum dono, har mushkil se door Tere sang zindagi bitana chahta hoon Tere bina ek pal bhi, main nahi reh sakta hoon (Outro) In lamhaat ko, yaadon mein samet kar rakhna Meri mohabbat ki nishani, hamesha apne paas rakhna Will you be mine, forever? Meri habibi, meri jaan, mere Noor- al-haya bolo na bolo qubool hai qubool hai.

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[Verse] एक साधारण चरवाहा था वो प्रभु में विश्वास उसका गहरा था जो हर पग पर उसने सच्चाई निभाई प्रभु की राह में हर कठिनाई पाई [Verse 2] जब समस्या आई घबराया नहीं प्रभु का नाम लिया मन से सही गोलियath से जब सामना हुआ प्रभु की ताकत पर वह अडिग था [Chorus] दाऊद की कहानी हमें सिखाती है प्रभु के प्रेम में सब मुसीबत घटाती है सच्चे दिल से जो पुकारा प्रभु को सारे दुःख दर्द वो छीन लेती है [Verse 3] वन में अकेला अक्सर गाया प्रभु का नाम गीतों में सजाया भीड़ में भी वह निर्भीक चला प्रभु की कृपा से जो रहा भला [Bridge] उसके साहस का कोई मुकाबला ना था प्रभु का प्रेम उसके संग आता था हर क़दम पर उसकी राह रोशन थी विश्वास में ही उसकी सबसे बड़ी जीत थी [Chorus] दाऊद की कहानी हमें सिखाती है प्रभु के प्रेम में सब मुसीबत घटाती है सच्चे दिल से जो पुकारा प्रभु को सारे दुःख दर्द वो छीन लेती है

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Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM

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Alte Ideen in neuem Haus

Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM

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Lord Shiva Rap Song

(Verse 1) शिव की महिमा, अनंत है उसकी शक्ति, कैलाश पर्वत पर विराजे, वो है सच्ची भक्ति। जटाओं में गंगा, तांडव में लय, ब्रह्मा और विष्णु, उसके चरणों में बहे। (Chorus) ओम नमः शिवाय, ये है मंत्र सच्चा, हर संकट में साथ, वो है सदा हमारा रक्षक। ध्यान में उसकी छवि, शांति का अनुभव, भक्तों की पुकार में, सुनता वो हर स्वर। (Verse 2) सिर पर चंद्रमा, त्रिशूल हाथ में, नागों की माला, वो है अद्भुत स्वभाव में। आग में जलते, फिर भी वो है ठंडा, महाकाल का रूप, सबको देता है संजीवनी। (Chorus) ओम नमः शिवाय, ये है मंत्र सच्चा, हर संकट में साथ, वो है सदा हमारा रक्षक। ध्यान में उसकी छवि, शांति का अनुभव, भक्तों की पुकार में, सुनता वो हर स्वर। (Bridge) दुनिया की परेशानियाँ, वो करता दूर, भक्ति में लीन होकर, मिलता है सच्चा नूर। शिवरात्रि की रात, जब भक्त करते हैं ध्यान, हर दिल में बसी है, भोलेनाथ की पहचान। (Outro) शिव की भक्ति में, है एक अलग ही जादू, हर मन को भाए, हर दिल को दे सुकून। ओम नमः शिवाय, सदा रहे तेरा नाम, तेरी कृपा से ही, हम सब हैं एकत्रित इस धाम।

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Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ mein Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. (Refrain) Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein (Refrain) Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel (Refrain) OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM

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oṃ dzambhala dzalen drayé siddhi hūng oṃ dzambhala dzalen drayé dhana médhi sarwa siddhi hūng oṃ dzambhala dzalen drayé hūng hrīh siddhi pala hūng hrīh oṃ dzambhala mamā sarwa siddhi hūng oṃ dzambhala yé sōhā oṃ dzambhala dzalen drayé sarwa siddhi pala hūng āh oṃ dzambhala dzalen drayé hūng oṃ dzambhala dzalen drayé dhana sōhā oṃ dzambhala dzalen drayé sōhā oṃ āh hūng buddha benza ratna pema karma dzambhala siddhi pala hūng oṃ dzambhala dzalen drayé sōhā oṃ dzambhala dzalen drayé hrīh dhana médhi hūng sōhā

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The Lord is my shepherd; I shall not want. He maketh me to lie down in green pastures: he leadeth me beside the still waters. He restoreth my soul: he leadeth me in the paths of righteousness for his name's sake. Yea, though I walk through the valley of the shadow of death, I will fear no evil: for thou art with me; thy rod and thy staff they comfort me. Thou preparest a table before me in the presence of mine enemies: thou anointest my head with oil; my cup runneth over. Surely goodness and mercy shall follow me all the days of my life: and I will dwell in the house of the Lord for ever.

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ESA

[Intro] ¡Baila, mi gente! Desde El Salvador pa’ todo el mundo, con el ritmo que llevamos, ¡vamos a gozar! [Verso 1] Aquí en El Salvador, la tierra se siente fuerte, con los volcanes que nos cuidan y nos dan suerte. El sol brilla, la gente trabaja sin descanso, y los bolitos no paran, siempre vamos a paso franco. Desde San Salvador hasta la playa de El Tunco, bailamos cumbia, ¡y todos estamos juntos! Las pupusas siempre listas, el marisco nos espera, y la cumbia salvadoreña nunca se altera. Estribillo ¡Ay, qué bonito es El Salvador, con sus volcanes y su gente de amor! Y con Bukele, el cambio está llegando, ¡Ay, qué bonito es El Salvador, su gente, su tierra, su calor! Y con Bukele, el país está avanzando, todos los bolitos pidiendo una cora ¡Ayúdalo maje no seas así! [Verso 2] Y los volcanes nos recuerdan que somos fuertes, como Ilamatepeq que nunca se quita de su suerte. Cada erupción nos da fuerza, nos llena de coraje, y seguimos adelante, ¡el futuro es nuestro viaje! Bukele lo sabe, El Salvador se levanta, con su gente unida, la esperanza nunca falta. Desde el norte hasta el sur, todos juntos vamos, y con los bolitos, con orgullo siempre lo proclamamos. Estribillo ¡Ay, qué bonito es El Salvador, con sus volcanes y su gente de amor! Y con Bukele, el cambio está llegando, ¡Ay, qué bonito es El Salvador, su gente, su tierra, su calor! Y con Bukele, el país está avanzando, todos los bolitos pidiendo una cora. ¡Ayúdalo maje no seas así! [Puente] Cumbia en las venas, el país resplandece, y los bolitos saben que El Salvador crece. Desde el volcán de San Vicente hasta La Libertad, bailamos juntos, ¡y con Bukele hay claridad! Estribillo ¡Ay, qué bonito es El Salvador, con sus volcanes y su gente de amor! Y con Bukele, el cambio está llegando, ¡Ay, qué bonito es El Salvador, su gente, su tierra, su calor! Y con Bukele, el país está avanzando, todos los bolitos pidiendo una cora. ¡Ayúdalo maje no seas así! [Outro] Desde el corazón de El Salvador, ¡Siempre vamos a estar de pie! Los volcanes, el pueblo, todos juntos, ¡cumbia salvadoreña! ¡y que nunca nos detengan! ¡Arriba El Salvador