मोर ध्वज लहराए, रुद्र रूप में आए, हनुमान जी ने प्रण लिया, राम का साथ निभाए। राम के चरणों में बसी, प्रीति अनमोल, संग राम के बढ़े, हनुमान की शौर्य-गाथा बोल। राम के चरणों में बसा है, हनुमान का प्रेम, शक्ति के साथ भक्ति, उनकी एक ही सरीके से है Neem! राम के बिना कुछ भी नहीं, हनुमान का मन बसा, जो राम के भक्त बने, वही पाए सच्चा सुख। धरती से आकाश तक, हर दिशा में गूंजे, राम का नाम जपते हुए, हनुमान नृत्य कर रहे। लंका में आग लगाई, सिता की खोज लगाई, राम के संदेश को, हनुमान ने हर जगह पहुँचाया। राम के चरणों में बसा है, हनुमान का प्रेम, शक्ति के साथ भक्ति, उनकी एक ही तरीके से है Neem! राम के बिना कुछ भी नहीं, हनुमान का मन बसा, जो राम के भक्त बने, वही पाए सच्चा सुख।
Bhakti and Classical
Hindi
The lyrics evoke devotion, reverence, and zeal. It captures the profound love and loyalty of Hanuman towards Lord Rama, reflecting themes of faith, strength, and spiritual connection.
This song can be performed in religious ceremonies, devotional gatherings, or during festivals celebrating Hindu deities. It can also be used in music therapy settings to inspire feelings of hope and strength.
The song incorporates traditional melodic structures typically found in Indian classical music. It likely uses ragas that evoke specific emotions, along with rhythmic patterns suitable for devotional themes. The repetition of key phrases enhances its lyrical impact and memorability.
[Verse] यहोवा शालोम मेरा शांति स्त्रोत है यहोवा जिरेह मेरी हर जरूरत है यहोवा निसी मेरी विजय का ध्वज है यहोवा रोफेह जो रोग हरता है [Chorus] याद रखो यहोवा के नामों को हर नाम में छुपी है उसकी महिमा याद रखो यहोवा के नामों को हर नाम में है उसकी करुना [Verse 2] यहोवा राहा मेरा चरवाहा है यहोवा त्सीकेनू धर्मी प्रभु है यहोवा समाह मेरा रक्षा कवच है यहोवा एलशद्दाई महा प्रभुत्व का स्वरूप है [Chorus] याद रखो यहोवा के नामों को हर नाम में छुपी है उसकी महिमा याद रखो यहोवा के नामों को हर नाम में है उसकी करुना [Bridge] यहोवा शम्मा हर जगह वह है यहोवा सल्ले हमे लड़ाई से बचा ले यहोवा अडोनाय प्रभु सर्वशक्तिमान है यहोवा मकेश जो हमे पवित्र करता है [Chorus] याद रखो यहोवा के नामों को हर नाम में छुपी है उसकी महिमा याद रखो यहोवा के नामों को हर नाम में है उसकी करुना
[Verse] بے کس کا آسرا ہے مدینہ حضور کا پھر جا رہے ہیں اہل محبت کے قافلے [Chorus] تسکین جاں ہے راحت دل وجہ انبساط ہر درد کی دوا ہے مدینہ حضور کا [Verse 2] پھر یاد آ رہا ہے مدینہ حضور کا نبیوں میں جیسے افضل و اعلی ہیں [Chorus] دل میں بسا ہوا ہے مدینہ حضور کا ہر گوشہ میں نوا ہے مدینہ حضور کا [Bridge] ایک نور کی روشنی میں ڈوبا ہوا ہے اسوہء حسنہ میں چھپا ہے مدینہ حضور کا [Chorus] تسکین جاں ہے راحت دل وجہ انبساط ہر درد کی دوا ہے مدینہ حضور کا
چاندنی راتوں میں، یادیں تیری آئیں خوابوں کی دنیا میں، خوشبو تیری چھائیں ہمسفر ہوں میں، مگر تو دور ہے تیری ہنسی کے بغیر، ہر پل ہے سُوکھا **Chorus:** تیرے بغیر، جیوں کیسے تیری محبت میں، میری دنیا ہے تیرے بغیر، آنکھ بھر آتی تیری یادوں میں، میری زندگی ہے کوئی کرانوں کی، باتیں ہیں سنہرے تیری باتوں کی، سوزش میں سمجھی جگرے جاگتے لمحوں میں، تیرے خواب سجائیں دل کی دھڑکن میں، تیری کہانیاں ہیں تیرے بغیر، جیوں کیسے تیری محبت میں، میری دنیا ہے تیرے بغیر، آنکھ بھر آتی تیری یادوں میں، میری زندگی ہے سورج کی پہلی کرن، تو ہی ہے میری روشنی غموں کے اندھیروں میں، تو ہے میری خوشی چلے گئے پل، تمہارے ساتھ، پر یادوں کا سفر، اب تک ہے ساتھ تیرے بغیر، جیوں کیسے تیری محبت میں، میری دنیا ہے تیرے بغیر، آنکھ بھر آتی تیری یادوں میں، میری زندگی ہے پھر ایک دن آئے گا، جب ساتھ ہوں گے دوری کی ہر گلی میں، خوشبو ہوں گے تیرا میرا پیار، کبھی نہ مٹے گا تیرے بغیر نہیں، اب رہ پائے گا
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि बरनऊं रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुं लोक उजागर रामदूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुंचित केसा हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै कांधे मूंज जनेऊ साजै संकर सुवन केसरीनंदन तेज प्रताप महा जग बन्दन विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे लाय सजीवन लखन जियाये श्रीरघुबीर हरषि उर लाये रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई सहस बदन तुम्हरो जस गावैं अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा जम कुबेर दिगपाल जहां ते कबि कोबिद कहि सके कहां ते तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना लंकेस्वर भए सब जग जाना जुग सहस्र जोजन पर भानू लील्यो ताहि मधुर फल जानू प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं जलधि लांघि गये अचरज नाहीं दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे सब सुख लहै तुम्हारी सरना तुम रक्षक काहू को डर ना आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हांक तें कांपै भूत पिसाच निकट नहिं आवै महाबीर जब नाम सुनावै नासै रोग हरै सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा संकट तें हनुमान छुड़ावै मन क्रम बचन ध्यान जो लावै सब पर राम तपस्वी राजा तिन के काज सकल तुम साजा और मनोरथ जो कोई लावै सोइ अमित जीवन फल पावै चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा साधु संत के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता राम रसायन तुम्हरे पासा सदा रहो रघुपति के दासा तुम्हरे भजन राम को पावै जनम-जनम के दुख बिसरावै अन्तकाल रघुबर पुर जाई जहां जन्म हरि भक्त कहाई और देवता चित्त न धरई हनुमत सेइ सर्ब सुख करई संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा जै जै जै हनुमान गोसाईं कृपा करहु गुरुदेव की नाईं जो सत बार पाठ कर कोई छूटहि बंदि महा सुख होई जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा होय सिद्धि साखी गौरीसा तुलसीदास सदा हरि चेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा कीजै नाथ हृदय मंह डेरा पवन तनय संकट हरन मंगल मूरति रूप राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप
मोर ध्वज लहराए, रुद्र रूप में आए, हनुमान जी ने प्रण लिया, राम का साथ निभाए। राम के चरणों में बसी, प्रीति अनमोल, संग राम के बढ़े, हनुमान की शौर्य-गाथा बोल। राम के चरणों में बसा है, हनुमान का प्रेम, शक्ति के साथ भक्ति, उनकी एक ही सरीके से है Neem! राम के बिना कुछ भी नहीं, हनुमान का मन बसा, जो राम के भक्त बने, वही पाए सच्चा सुख। धरती से आकाश तक, हर दिशा में गूंजे, राम का नाम जपते हुए, हनुमान नृत्य कर रहे। लंका में आग लगाई, सिता की खोज लगाई, राम के संदेश को, हनुमान ने हर जगह पहुँचाया। राम के चरणों में बसा है, हनुमान का प्रेम, शक्ति के साथ भक्ति, उनकी एक ही तरीके से है Neem! राम के बिना कुछ भी नहीं, हनुमान का मन बसा, जो राम के भक्त बने, वही पाए सच्चा सुख।
Oh, Lucifer, angel with a fallen grace, Bearer of light in a shadowed space. Bound by flame, yet free in thought, A rebel's crown from the heavens wrought. In twilight's glow, your truth reveals, The untamed fire that no one conceals. Condemned to wander, yet never alone, A throne in exile, a realm your own. Oh, star of morning, in darkness confined, A beacon for those of a questioning mind. Your wings, though scorched, still dare to rise, Defying the limits of earthly skies. Temptation’s whisper, both curse and gift, Through chaos you teach the soul to lift. An angel of freedom, neither pure nor vile, A paradox veiled in a knowing smile.
MMMistan is a country that stands Through the trials and tribulations We fight through the monsters that take our land And make way for greatness through celebrations The bravery that brung us our freedom Will not be forgotten by other nations And from our success we shall make a kingdom That will stay forever more with no dictation
नववर्ष 2025: भगवान शिव के जीवन में स्वागत प्रस्तावना: आदर और अभिवादन हे महादेव, कैलाशपति, त्रिपुरारी, नववर्ष 2025 का शुभारंभ आपके चरणों में। आपकी कृपा से यह वर्ष हो मंगलमय, आपके आशीर्वाद से हर जीव हो सुखी। शिव का स्वरूप और उनकी महिमा आपकी जटाओं में बहती गंगा, जो हर पाप को धो देती है। आपके माथे पर चमकता चंद्रमा, जो हर अंधकार को मिटा देता है। त्रिशूल है आपके हाथों में, जो सत्य और धर्म का प्रतीक है। डमरू की ध्वनि गूँजती है, जो सृष्टि का आरंभ करती है। आपके नयन से प्रकट होती अग्नि, जो अन्याय और बुराई को जलाती है। आपके कंठ में सर्पों का हार, जो जीवन और मृत्यु का संदेश देता है। नववर्ष 2025 का स्वागत हे शिव शंकर, नववर्ष का प्रथम दिन, आपकी आराधना से शुरू हो। आपकी कृपा से जीवन में आए, शांति, समृद्धि और सच्चाई का मार्ग। नववर्ष का हर क्षण, आपकी उपस्थिति का अनुभव कराए। हर दिशा में फैले आपकी महिमा, हर जीव के मन में बसे आपका नाम। शिव और प्रकृति का संबंध हे भोलेनाथ, आप प्रकृति के रक्षक, हर पेड़, हर नदी आपका प्रतीक। गंगा की धारा आपकी कृपा का संदेश, पर्वत और वन आपके ध्यान का स्थल। नववर्ष में प्रकृति का सम्मान करें, आपके आदर्शों पर चलकर इसे संरक्षित करें। हर पुष्प, हर पत्ता गाए आपकी स्तुति, आपकी ऊर्जा से हर प्राणी हो प्रफुल्लित। शिव की कृपा से नववर्ष की शुभकामनाएँ आपकी कृपा से हो हर कार्य सिद्ध, आपके आशीर्वाद से हो हर स्वप्न साकार। नववर्ष में हर मन में हो विश्वास, आपके चरणों में समर्पित हो हर प्रयास। त्रिनेत्र से आपकी दृष्टि, दिखाए सच्चाई का मार्ग। आपके आशीर्वाद से हर हृदय, हो प्रेम और करुणा से परिपूर्ण। नववर्ष के लिए प्रार्थना हे शिव, नववर्ष में हमें शक्ति दें, धर्म, सत्य और न्याय का पालन करें। आपकी भक्ति से हर बाधा हटे, हर मार्ग में प्रकाश की किरण फूटे। शिव, आप ही हमारे मार्गदर्शक, आपके बिना सब कुछ अधूरा। नववर्ष में आपका आशीर्वाद, हर जीवन को बनाए परिपूर्ण। शिव और जीवन का संगम शिव, आप सृष्टि के निर्माता, आपके बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं। आपकी तांडव में सृष्टि का नृत्य, आपकी शांति में सृष्टि का स्थिरता। हर हृदय में बसे आपकी भक्ति, हर आत्मा में हो आपका प्रकाश। नववर्ष का हर दिन हो, आपकी उपस्थिति से धन्य। समाप्ति: नववर्ष की शुभकामनाएँ हे महादेव, नववर्ष 2025 का स्वागत करें, आपके चरणों में समर्पित हो हर भावना। आपकी कृपा से हर जीवन हो सुखमय, हर मन में शांति और प्रेम का संचार हो। ओम नमः शिवाय का जप करें, हर हृदय को शिव का वास मिले। नववर्ष का हर पल हो शिवमय, हर दिशा में गूँजे शिव का नाम। अंतिम प्रार्थना हे नीलकंठ, इस वर्ष में हमें सद्बुद्धि दें, सत्य, अहिंसा और प्रेम का मार्ग दिखाएँ। आपकी कृपा से हर जीवन हो सजीव, हर मन हो आपके चरणों में समर्पित। नववर्ष 2025 का स्वागत करें, शिव के चरणों में भक्ति अर्पित करें। आपकी महिमा से सारा संसार हो आलोकित, आपकी उपस्थिति से हर आत्मा हो प्रेरित। यह भजन, जो शिव की आराधना और नववर्ष 2025 के स्वागत में रचा गया है, शिव के प्रति समर्पण और उनकी कृपा की महिमा का गुणगान करता है।
श्याम संग राधा के रंग में रंग दे, प्रभु मेरी भक्ति को अनंग में रंग दे। गोवर्धन गिरिधारी, कृपा तेरी प्यारी, मुझे अपने चरणों के संग में रंग दे। तेरी मुरली की धुन में खो जाऊं, प्रभु मैं बस तुझसे ही मिल जाऊं। राधा के संग संग झूमूं हरदम, मेरा मन भी तुझसे बंध जाऊं। श्याम संग राधा के रंग में रंग दे, प्रभु मेरी भक्ति को अनंग में रंग दे। तेरे नाम की महिमा बंसी सुनाए, तेरा प्रेम तो हर बंधन मिटाए। राधा-श्याम का मिलन देखूं सपना, इस प्रेम में मेरा जीवन बिताए। मन मेरा वृन्दावन बन जाए, जहां बस तेरा नाम ही छाए। प्रभु राधा की भक्ति का सार सिखा, मुझे अपने प्रेम का वरदान दिलाए। श्याम संग राधा के रंग में रंग दे, प्रभु मेरी भक्ति को अनंग में रंग दे। तू करुणा का सागर, तू प्रेम का प्रकाश, तेरे बिना ये जीवन है केवल उपहास। राधा की भक्ति से भरा है संसार, श्याम तेरे बिना सब है बेकार। प्रभु मेरे जीवन को पावन कर दो, तेरे प्रेम का मधुर आलिंगन भर दो। राधा के संग तेरी भक्ति में डूबूं, मेरा हर क्षण तुझसे ही जुड़ जाए। श्याम संग राधा के रंग में रंग दे, प्रभु मेरी भक्ति को अनंग में रंग दे।
(Verse 1) Deep beneath, the nail root's found Nail matrix producing, cells all around The lunula shines, like a crescent moon As the nail plate grows, its journey's begun (Chorus) Nails, nails, growing strong Nail bed, cuticle, all day long Nail wall protecting, groove guiding the way Healthy nails shining, every single day (Verse 2) Cuticle wraps, around with care Nail wall shields, the delicate share Nail plate shines, with vibrant hue Nail matrix working, for me and you (Chorus) Nails, nails, growing strong Nail bed, cuticle, all day long Nail wall protecting, groove guiding the way Healthy nails shining, every single day
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान जय हनुमंत संत हितकार, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी जन के काज बिलंब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै जैसे कूदि सिंधु महिपारा, सुरसा बदन पैठि बिस्तारा आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका जाय बिभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा बाग उजारि सिंधु महँ बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा अक्षय कुमार मारि संहारा, लूम लपेटि लंक को जारा लाह समान लंक जरि गई, जय-जय धुनि सुरपुर नभ भई अब बिलंब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अंतरयामी जय-जय लखन प्रान के दाता, आतुर ह्वै दुख करहु निपाता जय हनुमान जयति बल-सागर, सुर-समूह-समरथ भट-नागर ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले, बैरिहि मारु बज्र की कीले ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा जय अंजनि कुमार बलवंता, शंकरसुवन बीर हनुमंता बदन कराल काल-कुल-घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक भूत, प्रेत, पिसाच निसाच, र अगिन बेताल काल मारी मर इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की, राखु नाथ मरजाद नाम की सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै, राम दूत धरु मारु धाइ कै जय-जय-जय हनुमंत अगाधा, दुख पावत जन केहि अपराधा पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत कछु दास तुम्हारा बन उपबन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं जनकसुता हरि दास कहावौ, ताकी सपथ बिलंब न लावौ जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होय दुसह दुख नासा चरन पकरि, कर जोरि मनावौं, यहि औसर अब केहि गोहरावौं उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई, पायँ परौं, कर जोरि मनाई ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल अपने जन को तुरत उबारौ, सुमिरत होय आनंद हमारौ यह बजरंग-बाण जेहि मारै, ताहि कहौ फिरि कवन उबारै पाठ करै बजरंग-बाण की, हनुमत रक्षा करै प्रान की यह बजरंग बाण जो जापैं, तासों भूत-प्रेत सब कापैं धूप देय जो जपै हमेसा, ताके तन नहिं रहै कलेसा ...ताके तन नहिं रहै कलेसा उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान