CHRISTMAS MEGA SALE: 50% OFF! (Annual Only)

Hanuman Ji aarti

Song Created By @Entra With AI Singing

Music Audio

Cover
Hanuman Ji aarti
created by Entra
Cover
Hanuman Ji aarti
created by Entra

Music Details

Lyrics Text

आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।
जाके बल से गिरवर कांपे,
रोग-दोष जाके निकट न झांके॥
आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई,
संतन के प्रभु सदा सहाई।
दे बीरा रघुनाथ पठाए,
लंका जारि सिया सुधि लाए॥
आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई,
जात पवनसुत बार न लाई।
लंका जारि असुर संहारे,
सीता रामजी के काज सवारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
पंचमुख रूप धरा धरि धामा,
अंजनि मातु के पूत करामा।
सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें,
जय जय जय हनुमान उचारे॥
आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
कंचन थार कपूर लौ छाई,
आरती करत अंजना माई।
जो हनुमान जी की आरती गावे,
बसिहैं राम-सियासुख पावे॥
आरती कीजै हनुमान लला की,
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

Description of Music Style

aarti,Hindu Bhajan Aarti, temple bells, flute, claps,

Lyrics Language

Hindi

Emotional Analysis

Devotional and uplifting, it conveys reverence and surrender to Lord Hanuman, instilling feelings of faith, hope, and protection.

Application Scenarios

Suitable for religious gatherings, devotional singing, and spiritual practices. Often performed in temples and during festivals to invoke blessings.

Technical Analysis

Structurally, the song follows a repetitive format typical of aarti, reinforcing its meditative quality. The instrumentation may include temple bells, flutes, and claps which enhance its spiritual ambiance.

Related Music More Styles of Music

Hanuman Ji aarti-Entra-AI-singing
Hanuman Ji aarti

आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। जाके बल से गिरवर कांपे, रोग-दोष जाके निकट न झांके॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई। दे बीरा रघुनाथ पठाए, लंका जारि सिया सुधि लाए॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ लंका सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई। लंका जारि असुर संहारे, सीता रामजी के काज सवारे॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ पंचमुख रूप धरा धरि धामा, अंजनि मातु के पूत करामा। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें, जय जय जय हनुमान उचारे॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करत अंजना माई। जो हनुमान जी की आरती गावे, बसिहैं राम-सियासुख पावे॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

Hanuman Ji aarti-Entra-AI-singing
Hanuman Ji aarti

आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। जाके बल से गिरवर कांपे, रोग-दोष जाके निकट न झांके॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ अंजनि पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई। दे बीरा रघुनाथ पठाए, लंका जारि सिया सुधि लाए॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ लंका सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई। लंका जारि असुर संहारे, सीता रामजी के काज सवारे॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ पंचमुख रूप धरा धरि धामा, अंजनि मातु के पूत करामा। सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें, जय जय जय हनुमान उचारे॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करत अंजना माई। जो हनुमान जी की आरती गावे, बसिहैं राम-सियासुख पावे॥ आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥