Mantras of the 21 Dzambhalas

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音楽の詳細

歌詞テキスト

oṃ dzambhala dzalen drayé siddhi hūng
oṃ dzambhala dzalen drayé dhana médhi sarwa siddhi hūng
oṃ dzambhala dzalen drayé hūng hrīh siddhi pala hūng hrīh
oṃ dzambhala mamā sarwa siddhi hūng
oṃ dzambhala yé sōhā
oṃ dzambhala dzalen drayé sarwa siddhi pala hūng āh
oṃ dzambhala dzalen drayé hūng
oṃ dzambhala dzalen drayé dhana sōhā
oṃ dzambhala dzalen drayé sōhā
oṃ āh hūng buddha benza ratna pema karma dzambhala siddhi pala hūng
oṃ dzambhala dzalen drayé sōhā
oṃ dzambhala dzalen drayé hrīh dhana médhi hūng sōhā

音楽スタイルの説明

tibetan folk song

歌詞言語

Tibetan

Emotional Analysis

The lyrics convey a deep sense of devotion and the pursuit of spiritual fulfillment. They evoke feelings of calmness, tranquility, and a connection to the divine, promoting a sense of hope and abundance.

Application Scenarios

This song could be applied in spiritual or meditative environments, such as yoga practices, meditation sessions, or Buddhist rituals, where the focus is on cultivating inner peace, prosperity, and spiritual abundance.

Technical Analysis

The song utilizes repetitive chanting, typical in mantra practices, which is believed to have meditative effects. The use of sacred syllables such as 'oṃ' and phrases associated with abundance and success reflects traditional Tibetan musical structure and the spiritual significance of sound.

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Italia

Dalla cima delle Alpi Fino giù in Sicilia Questa terra è tanto bella sì È la mia patria son nato qua Il Po scorre lento lento Nella Pianura Padana Tra risaie e campi verdi Per l'Adriatico se ne va Ritornello: O Italia, terra mia Di bellezza e poesia Dal Tirreno all'Adriatico La tua storia sì vive qua Gli Appennini come spina Attraversano la nazion Dalle vigne piemontesi Fin giù in Calabria arrivano Tre vulcani son guardiani Veglian sulla terra qua Etna, Stromboli e Vesuvio Fuoco e cenere ci dan Cinque terre sulla costa Brillano nel sole sai E Venezia sulla laguna Specchia sempre il suo splendor Dalle Dolomiti bianche Fino alle coste splendenti Questa terra è benedetta La porterò sempre nel cuor

श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी-Entra-AI-singing
श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी

श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, जगत के रखवारे, दुःख हरने वाले। तेरे चरणों में ही सुख की सरिता, जग को तारने वाले। तेरी मुरली की मधुर तान सुन, हर मन मगन हो जाता। तेरी लीलाओं का वर्णन करें, हर भक्त धन्य हो जाता। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। गोकुल की गलियों में जिसने खेला, माखनचोर बन सबका दिल जीता। यमुना किनारे की लीला प्यारी, हर क्षण है अद्भुत और न्यारी। रास रचाया ब्रज की गोपियों संग, कान्हा, तेरा हर रूप है अनंग। तुम हो मुरारी, तुम हो वारी, संसार के हर कष्ट के निवारक। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। कुरुक्षेत्र में जब अर्जुन भटके, तुमने गीता का ज्ञान दिया। धर्म के मार्ग को सिखाने, हर युग में अवतार लिया। जो भी पुकारे तेरा नाम, सुख पाए वो हर एक इंसान। राधा संग तेरा प्यार अमर, भक्तों के जीवन का आधार। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। शरण में जो आए, वो तेरा हो जाए, पापी भी सुधरे, तेरा नाम जो गाए। कन्हैया, कान्हा, गिरधारी प्यारे, भक्तों के मन को तारण हारे। तेरा ही नाम, जीवन का सार, तेरा ही नाम, भवसागर पार। गोविंद बोलो, गोपाल बोलो, प्रभु के चरणों में सब कुछ छोड़ो। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।

Hanuman Chalisa-Entra-AI-singing
Hanuman Chalisa

श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, जगत के रखवारे, दुःख हरने वाले। तेरे चरणों में ही सुख की सरिता, जग को तारने वाले। तेरी मुरली की मधुर तान सुन, हर मन मगन हो जाता। तेरी लीलाओं का वर्णन करें, हर भक्त धन्य हो जाता। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। गोकुल की गलियों में जिसने खेला, माखनचोर बन सबका दिल जीता। यमुना किनारे की लीला प्यारी, हर क्षण है अद्भुत और न्यारी। रास रचाया ब्रज की गोपियों संग, कान्हा, तेरा हर रूप है अनंग। तुम हो मुरारी, तुम हो वारी, संसार के हर कष्ट के निवारक। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। कुरुक्षेत्र में जब अर्जुन भटके, तुमने गीता का ज्ञान दिया। धर्म के मार्ग को सिखाने, हर युग में अवतार लिया। जो भी पुकारे तेरा नाम, सुख पाए वो हर एक इंसान। राधा संग तेरा प्यार अमर, भक्तों के जीवन का आधार। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। शरण में जो आए, वो तेरा हो जाए, पापी भी सुधरे, तेरा नाम जो गाए। कन्हैया, कान्हा, गिरधारी प्यारे, भक्तों के मन को तारण हारे। तेरा ही नाम, जीवन का सार, तेरा ही नाम, भवसागर पार। गोविंद बोलो, गोपाल बोलो, प्रभु के चरणों में सब कुछ छोड़ो। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।

Koi to ho-Riya-AI-singing
Koi to ho

Chorus कोई तो हो... कोई तो हो दिल के साज़ में सदा कोई तो हो (कोई तो हो... कोई तो हो) Verse 1 न हरीफ़-ए-जाँ न शरीक-ए-ग़म, शब-ए-इंतिज़ार कोई तो हो, किसे बज़्म-ए-शौक़ में लाएँ हम, दिल-ए-बे-क़रार कोई तो हो Chorus: कोई तो हो... कोई तो हो दिल के साज़ में सदा कोई तो हो Verse 2 किसे ज़िंदगी है अज़ीज़ अब, किसे आरज़ू-ए-शब-ए-तरब, मगर ऐ निगार-ए-वफ़ा तलब, तिरा एतिबार कोई तो हो Chorus कोई तो हो, कोई तो हो दिल के साज़ में सदा कोई तो हो Verse 3 कहीं तार-ए-दामन-ए-गुल मिले, तो ये मान लें कि चमन खिले, कि निशान फ़स्ल-ए-बहार का, सर-ए-शाख़-सार कोई तो हो Chorus: कोई तो हो... कोई तो हो... दिल के साज़ में सदा कोई तो हो... Verse 4 ये उदास उदास से बाम ओ दर, ये उजाड़ उजाड़ सी रह-गुज़र, चलो हम नहीं न सही मगर, सर-ए-कू-ए-यार कोई तो हो... (सर-ए-कू-ए-यार कोई तो हो) Chorus: कोई तो हो... कोई तो हो... दिल के साज़ में सदा कोई तो हो Verse 5 सर-ए-मक़्तल-ए-शब-ए-आरज़ू, रहे कुछ तो इश्क़ की आबरू, जो नहीं अदू तो 'फ़राज़' तू, कि नसीब-ए-दार कोई तो हो... (नसीब-ए-दार कोई तो हो) Chorus कोई तो हो... कोई तो हो... दिल के साज़ में सदा कोई तो हो..

The Living Goddess-Norjannah-AI-singing
The Living Goddess

(Intro - parang "Sirena" intro, may "siren" sound effects) Sa gitna ng Himalayas, ang misteryo'y lumulutang Si Kumari, diyosa, buhay na simbolo, nag-aalab (Verse 1) Sa bansang Nepal, kung saan ang kasaysayan ay naghihintay Si Kumari, isang bata, isang buhay na diyosa, laging nakabantay Sa bawat hakbang niya, isang ritwal na nagpapaligaya Ang kanyang presensya'y nagbibigay ng proteksyon, kapangyarihan, at biyaya (Chorus) Kumari, Kumari, ang buhay na diyosa, Ang kanyang kapangyarihan, di matatawaran, totoo Sa kanyang mga mata, ang ningning ng sansinukob Sa kanyang mga kamay, ang kapangyarihan ng lahat ng diyos (Bridge - parang "Sirena" bridge, may "siren" sound effects) Kung siya'y magdugo, kalamidad ang sasapit Kung siya'y umiyak, ang bansa ay mag-aalala, di mapapanatag Ngunit sa kanyang pagiging banal, mayroon ding limitasyon Isang buhay na nakakulong sa isang tradisyon, isang pagsubok sa kanyang pagiging tao (Verse 2) Sa Nepal, ang mga tao'y naniniwala sa kanyang kapangyarihan Ang Kumari, isang simbolo, isang tagapagligtas, nag-aalay ng kanyang lakas Sa bawat hininga niya, ang kanyang kapangyarihan ay nadarama Ang Kumari, isang diyosa, isang babaeng banal, isang misteryo na di malilimutan (Chorus) Kumari, Kumari, ang buhay na diyosa, Ang kanyang kapangyarihan, di matatawaran, totoo Sa kanyang mga mata, ang ningning ng sansinukob Sa kanyang mga kamay, ang kapangyarihan ng lahat ng diyos (Outro - parang "Sirena" outro, may "siren" sound effects) Sa gitna ng Himalayas, ang misteryo'y nananatiling buhay Si Kumari, diyosa, buhay na simbolo, nag-aalab

Shaadi Male-Hasan-AI-singing
Shaadi Male

(MALE ) In the cradle of dawn, where the river's song flows, A child sits in her garden, where the marigold grows. Her dreams are like stars, untouched by night, Her laughter like birds, in their innocent flight. Yet the wind whispers tales, of a shadowed fate, A bride in the bud, her childhood's gate. The bindis, the bangles, the red of her veil, Cover the spark that no words can unveil. Why must the bloom be plucked from its stem, Before the morning has whispered to them? Why must the anklet, so heavy and cold, Bind the young feet, before they are old? O Mother, O Father, why hasten the day, When the blossoms of youth are stolen away? Let the river of time in its own course flow, Let the child in her garden, in her innocence, grow. And one day, the world will be hers to embrace, And the shadows of the past, she will then erase. But for now, let her be, in her garden so wild, Let her live, let her breathe, for she is still a child.

Shaadi Male-Hasan-AI-singing
Shaadi Male

(MALE ) In the cradle of dawn, where the river's song flows, A child sits in her garden, where the marigold grows. Her dreams are like stars, untouched by night, Her laughter like birds, in their innocent flight. Yet the wind whispers tales, of a shadowed fate, A bride in the bud, her childhood's gate. The bindis, the bangles, the red of her veil, Cover the spark that no words can unveil. Why must the bloom be plucked from its stem, Before the morning has whispered to them? Why must the anklet, so heavy and cold, Bind the young feet, before they are old? O Mother, O Father, why hasten the day, When the blossoms of youth are stolen away? Let the river of time in its own course flow, Let the child in her garden, in her innocence, grow. And one day, the world will be hers to embrace, And the shadows of the past, she will then erase. But for now, let her be, in her garden so wild, Let her live, let her breathe, for she is still a child.

Sahar aur sham se kuch yun-Saksham-AI-singing
Sahar aur sham se kuch yun

सहर और शाम से कुछ यूँ गुज़रता जा रहा हूँ मैं, कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- तमन्ना-ए-मुहाल-ए-दिल को जज़्ब-ए-ज़िंदगी कर के, फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं") गुल-ए-रंगीँ ये कहता है कि खिलना हुस्न खोना है, मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- मिरा दिल भी अजब इक सागर-ए-ज़ौक़-ए-तमन्ना है, कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं") कहाँ तक एतिबार-ए-जान-ओ-जानों का तअल्लुक़ है, सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- जवानी जा रही है और मैं महव-ए-तमाशा हूँ, उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं") बहुत ऊँचा उड़ा लेकिन अब इस ओज-ए-तख़य्युल से, किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- 'नुशूर' आख़िर कहाँ तक फ़िक्र-ए-दुनिया दिल दुखाएगी, ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं") [Final Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") ग़म-ए-हस्ती को यूँ ही सजा बनाएँगे, ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है। (Group echoes "ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है")

दाऊद की कहानी-Anguri-AI-singing
दाऊद की कहानी

[Verse] एक साधारण चरवाहा था वो प्रभु में विश्वास उसका गहरा था जो हर पग पर उसने सच्चाई निभाई प्रभु की राह में हर कठिनाई पाई [Verse 2] जब समस्या आई घबराया नहीं प्रभु का नाम लिया मन से सही गोलियath से जब सामना हुआ प्रभु की ताकत पर वह अडिग था [Chorus] दाऊद की कहानी हमें सिखाती है प्रभु के प्रेम में सब मुसीबत घटाती है सच्चे दिल से जो पुकारा प्रभु को सारे दुःख दर्द वो छीन लेती है [Verse 3] वन में अकेला अक्सर गाया प्रभु का नाम गीतों में सजाया भीड़ में भी वह निर्भीक चला प्रभु की कृपा से जो रहा भला [Bridge] उसके साहस का कोई मुकाबला ना था प्रभु का प्रेम उसके संग आता था हर क़दम पर उसकी राह रोशन थी विश्वास में ही उसकी सबसे बड़ी जीत थी [Chorus] दाऊद की कहानी हमें सिखाती है प्रभु के प्रेम में सब मुसीबत घटाती है सच्चे दिल से जो पुकारा प्रभु को सारे दुःख दर्द वो छीन लेती है

Om..Alte Ideen in neuem Haus-Aaron-AI-singing
Om..Alte Ideen in neuem Haus

Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM

Alte Ideen in neuem Haus-Aaron-AI-singing
Alte Ideen in neuem Haus

Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM

Lord Shiva Rap Song-CHANDAN-AI-singing
Lord Shiva Rap Song

(Verse 1) शिव की महिमा, अनंत है उसकी शक्ति, कैलाश पर्वत पर विराजे, वो है सच्ची भक्ति। जटाओं में गंगा, तांडव में लय, ब्रह्मा और विष्णु, उसके चरणों में बहे। (Chorus) ओम नमः शिवाय, ये है मंत्र सच्चा, हर संकट में साथ, वो है सदा हमारा रक्षक। ध्यान में उसकी छवि, शांति का अनुभव, भक्तों की पुकार में, सुनता वो हर स्वर। (Verse 2) सिर पर चंद्रमा, त्रिशूल हाथ में, नागों की माला, वो है अद्भुत स्वभाव में। आग में जलते, फिर भी वो है ठंडा, महाकाल का रूप, सबको देता है संजीवनी। (Chorus) ओम नमः शिवाय, ये है मंत्र सच्चा, हर संकट में साथ, वो है सदा हमारा रक्षक। ध्यान में उसकी छवि, शांति का अनुभव, भक्तों की पुकार में, सुनता वो हर स्वर। (Bridge) दुनिया की परेशानियाँ, वो करता दूर, भक्ति में लीन होकर, मिलता है सच्चा नूर। शिवरात्रि की रात, जब भक्त करते हैं ध्यान, हर दिल में बसी है, भोलेनाथ की पहचान। (Outro) शिव की भक्ति में, है एक अलग ही जादू, हर मन को भाए, हर दिल को दे सुकून। ओम नमः शिवाय, सदा रहे तेरा नाम, तेरी कृपा से ही, हम सब हैं एकत्रित इस धाम।