श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी

Song Created By @Entra With AI Singing

Áudio da Música

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श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी
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Detalhes da Música

Letras

श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेव।
श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी,
जगत के रखवारे, दुःख हरने वाले।
तेरे चरणों में ही सुख की सरिता,
जग को तारने वाले।
तेरी मुरली की मधुर तान सुन,
हर मन मगन हो जाता।
तेरी लीलाओं का वर्णन करें,
हर भक्त धन्य हो जाता।
श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेव।
गोकुल की गलियों में जिसने खेला,
माखनचोर बन सबका दिल जीता।
यमुना किनारे की लीला प्यारी,
हर क्षण है अद्भुत और न्यारी।
रास रचाया ब्रज की गोपियों संग,
कान्हा, तेरा हर रूप है अनंग।
तुम हो मुरारी, तुम हो वारी,
संसार के हर कष्ट के निवारक।
श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेव।
कुरुक्षेत्र में जब अर्जुन भटके,
तुमने गीता का ज्ञान दिया।
धर्म के मार्ग को सिखाने,
हर युग में अवतार लिया।
जो भी पुकारे तेरा नाम,
सुख पाए वो हर एक इंसान।
राधा संग तेरा प्यार अमर,
भक्तों के जीवन का आधार।
श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेव।
शरण में जो आए, वो तेरा हो जाए,
पापी भी सुधरे, तेरा नाम जो गाए।
कन्हैया, कान्हा, गिरधारी प्यारे,
भक्तों के मन को तारण हारे।
तेरा ही नाम, जीवन का सार,
तेरा ही नाम, भवसागर पार।
गोविंद बोलो, गोपाल बोलो,
प्रभु के चरणों में सब कुछ छोड़ो।
श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेव।

Descrição do Estilo Musical

fast pace, bass, Hindu Devotional, Flute,

Idioma das Letras

Hindi

Emotional Analysis

The song evokes feelings of devotion, reverence, and spiritual joy. It inspires a sense of peace and connection with the divine, making listeners feel uplifted and immersed in a state of blissful worship.

Application Scenarios

This song can be used in various devotional contexts, such as during religious ceremonies, temple worship, festivals, and daily prayers among devotees of Lord Krishna. It can also be played during cultural events that celebrate Indian heritage and spirituality.

Technical Analysis

The song features a fast-paced rhythm with a strong bassline that drives the music forward. It incorporates traditional Indian instruments, notably the flute, which adds a melodic richness. The lyrical structure includes repetitive chants that create a meditative effect, making it suitable for congregational singing. The harmonization of voices could enhance the communal worship experience.

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श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी-Entra-AI-singing
श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी

श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, जगत के रखवारे, दुःख हरने वाले। तेरे चरणों में ही सुख की सरिता, जग को तारने वाले। तेरी मुरली की मधुर तान सुन, हर मन मगन हो जाता। तेरी लीलाओं का वर्णन करें, हर भक्त धन्य हो जाता। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। गोकुल की गलियों में जिसने खेला, माखनचोर बन सबका दिल जीता। यमुना किनारे की लीला प्यारी, हर क्षण है अद्भुत और न्यारी। रास रचाया ब्रज की गोपियों संग, कान्हा, तेरा हर रूप है अनंग। तुम हो मुरारी, तुम हो वारी, संसार के हर कष्ट के निवारक। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। कुरुक्षेत्र में जब अर्जुन भटके, तुमने गीता का ज्ञान दिया। धर्म के मार्ग को सिखाने, हर युग में अवतार लिया। जो भी पुकारे तेरा नाम, सुख पाए वो हर एक इंसान। राधा संग तेरा प्यार अमर, भक्तों के जीवन का आधार। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। शरण में जो आए, वो तेरा हो जाए, पापी भी सुधरे, तेरा नाम जो गाए। कन्हैया, कान्हा, गिरधारी प्यारे, भक्तों के मन को तारण हारे। तेरा ही नाम, जीवन का सार, तेरा ही नाम, भवसागर पार। गोविंद बोलो, गोपाल बोलो, प्रभु के चरणों में सब कुछ छोड़ो। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।

Hanuman Chalisa-Entra-AI-singing
Hanuman Chalisa

श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, जगत के रखवारे, दुःख हरने वाले। तेरे चरणों में ही सुख की सरिता, जग को तारने वाले। तेरी मुरली की मधुर तान सुन, हर मन मगन हो जाता। तेरी लीलाओं का वर्णन करें, हर भक्त धन्य हो जाता। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। गोकुल की गलियों में जिसने खेला, माखनचोर बन सबका दिल जीता। यमुना किनारे की लीला प्यारी, हर क्षण है अद्भुत और न्यारी। रास रचाया ब्रज की गोपियों संग, कान्हा, तेरा हर रूप है अनंग। तुम हो मुरारी, तुम हो वारी, संसार के हर कष्ट के निवारक। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। कुरुक्षेत्र में जब अर्जुन भटके, तुमने गीता का ज्ञान दिया। धर्म के मार्ग को सिखाने, हर युग में अवतार लिया। जो भी पुकारे तेरा नाम, सुख पाए वो हर एक इंसान। राधा संग तेरा प्यार अमर, भक्तों के जीवन का आधार। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव। शरण में जो आए, वो तेरा हो जाए, पापी भी सुधरे, तेरा नाम जो गाए। कन्हैया, कान्हा, गिरधारी प्यारे, भक्तों के मन को तारण हारे। तेरा ही नाम, जीवन का सार, तेरा ही नाम, भवसागर पार। गोविंद बोलो, गोपाल बोलो, प्रभु के चरणों में सब कुछ छोड़ो। श्री कृष्ण गोविंद, हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेव।

Hanuman Chalisa-Entra-AI-singing
Hanuman Chalisa

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।। हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै। संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।। विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।। लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।। जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।। तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना।। जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।। आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।। संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।। सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।। चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।। राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।। तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।। अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।। और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।। संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।। जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।। जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

Shri Krishna Geet-Entra-AI-singing
Shri Krishna Geet

जग में फैला अंधकार, अधर्म ने ली थी अंगड़ाई, पाप ने जब धरा को डस लिया, तब आशा ने ली अंगड़ाई। हरि ने जन्म लिया मथुरा में, कंस का गर्व मिटाने को, श्रीकृष्ण के चरित्र का गान, भक्तजन आओ गाने को। चमके आकाश में देव तारे, जन्में नंद के लाला, यशोदा के आंगन खिली खुशियां, गोकुल का बन गया उजाला। कंस के बंदीगृह में जन्म लिया, वसुदेव ने पार लगाया, यमुना का जल भी झुक गया, जब हरि चरणों को अपनाया। माखन चुराकर हंसाए सभी को, ग्वाल-बाल संग रचाए खेल, पूतना का वध किया कान्हा ने, किया सभी का भय चुरेल। कालिया नाग पर नृत्य किया, यमुना को फिर से स्वच्छ किया, गोपियों संग रास रचाकर, प्रेम का पाठ पढ़ाया। मथुरा में जब पधारे कान्हा, कंस ने भेजे असुर अनेक, चाणूर-मुष्टिक संग मल्ल युद्ध, हरि ने जीता हर एक। कंस का गर्व चूर किया, सत्य और धर्म का मान बढ़ाया, धरती पर जब-जब अधर्म बढ़े, हरि ने न्याय का दीप जलाया। पांडवों के संग खड़े कृष्ण, धर्म की सेना का किया निर्माण, गीता का उपदेश दिया अर्जुन को, समझाया जीवन का महान ज्ञान। कुरुक्षेत्र में सारथी बनकर, धर्म-अधर्म का युद्ध कराया, कौरवों के पतन के संग, सत्य का परचम लहराया। द्वारका नगरी बसाई हरि ने, धन और सुख का किया विस्तार, लेकिन जब यदुवंशियों ने किया अधर्म, लीला का हुआ विस्तार। सुदर्शन ने जब छोड़ा उनका संग, वन में ली अंतिम सांस, पार किया इस जीवन का संग्राम, पूर्ण हुई हरि की लीला की प्यास। जन्म लिया तो अधर्म मिटाने, धर्म का मार्ग दिखाने को, छोड़ा जग को प्रेम सिखाकर, हरि ने किया अमर बनाने को। जय श्रीकृष्ण, जय मुरलीधर, भक्तजन हरदम गाते रहें

Koi to ho-Riya-AI-singing
Koi to ho

Chorus कोई तो हो... कोई तो हो दिल के साज़ में सदा कोई तो हो (कोई तो हो... कोई तो हो) Verse 1 न हरीफ़-ए-जाँ न शरीक-ए-ग़म, शब-ए-इंतिज़ार कोई तो हो, किसे बज़्म-ए-शौक़ में लाएँ हम, दिल-ए-बे-क़रार कोई तो हो Chorus: कोई तो हो... कोई तो हो दिल के साज़ में सदा कोई तो हो Verse 2 किसे ज़िंदगी है अज़ीज़ अब, किसे आरज़ू-ए-शब-ए-तरब, मगर ऐ निगार-ए-वफ़ा तलब, तिरा एतिबार कोई तो हो Chorus कोई तो हो, कोई तो हो दिल के साज़ में सदा कोई तो हो Verse 3 कहीं तार-ए-दामन-ए-गुल मिले, तो ये मान लें कि चमन खिले, कि निशान फ़स्ल-ए-बहार का, सर-ए-शाख़-सार कोई तो हो Chorus: कोई तो हो... कोई तो हो... दिल के साज़ में सदा कोई तो हो... Verse 4 ये उदास उदास से बाम ओ दर, ये उजाड़ उजाड़ सी रह-गुज़र, चलो हम नहीं न सही मगर, सर-ए-कू-ए-यार कोई तो हो... (सर-ए-कू-ए-यार कोई तो हो) Chorus: कोई तो हो... कोई तो हो... दिल के साज़ में सदा कोई तो हो Verse 5 सर-ए-मक़्तल-ए-शब-ए-आरज़ू, रहे कुछ तो इश्क़ की आबरू, जो नहीं अदू तो 'फ़राज़' तू, कि नसीब-ए-दार कोई तो हो... (नसीब-ए-दार कोई तो हो) Chorus कोई तो हो... कोई तो हो... दिल के साज़ में सदा कोई तो हो..

The Living Goddess-Norjannah-AI-singing
The Living Goddess

(Intro - parang "Sirena" intro, may "siren" sound effects) Sa gitna ng Himalayas, ang misteryo'y lumulutang Si Kumari, diyosa, buhay na simbolo, nag-aalab (Verse 1) Sa bansang Nepal, kung saan ang kasaysayan ay naghihintay Si Kumari, isang bata, isang buhay na diyosa, laging nakabantay Sa bawat hakbang niya, isang ritwal na nagpapaligaya Ang kanyang presensya'y nagbibigay ng proteksyon, kapangyarihan, at biyaya (Chorus) Kumari, Kumari, ang buhay na diyosa, Ang kanyang kapangyarihan, di matatawaran, totoo Sa kanyang mga mata, ang ningning ng sansinukob Sa kanyang mga kamay, ang kapangyarihan ng lahat ng diyos (Bridge - parang "Sirena" bridge, may "siren" sound effects) Kung siya'y magdugo, kalamidad ang sasapit Kung siya'y umiyak, ang bansa ay mag-aalala, di mapapanatag Ngunit sa kanyang pagiging banal, mayroon ding limitasyon Isang buhay na nakakulong sa isang tradisyon, isang pagsubok sa kanyang pagiging tao (Verse 2) Sa Nepal, ang mga tao'y naniniwala sa kanyang kapangyarihan Ang Kumari, isang simbolo, isang tagapagligtas, nag-aalay ng kanyang lakas Sa bawat hininga niya, ang kanyang kapangyarihan ay nadarama Ang Kumari, isang diyosa, isang babaeng banal, isang misteryo na di malilimutan (Chorus) Kumari, Kumari, ang buhay na diyosa, Ang kanyang kapangyarihan, di matatawaran, totoo Sa kanyang mga mata, ang ningning ng sansinukob Sa kanyang mga kamay, ang kapangyarihan ng lahat ng diyos (Outro - parang "Sirena" outro, may "siren" sound effects) Sa gitna ng Himalayas, ang misteryo'y nananatiling buhay Si Kumari, diyosa, buhay na simbolo, nag-aalab

Shaadi Male-Hasan-AI-singing
Shaadi Male

(MALE ) In the cradle of dawn, where the river's song flows, A child sits in her garden, where the marigold grows. Her dreams are like stars, untouched by night, Her laughter like birds, in their innocent flight. Yet the wind whispers tales, of a shadowed fate, A bride in the bud, her childhood's gate. The bindis, the bangles, the red of her veil, Cover the spark that no words can unveil. Why must the bloom be plucked from its stem, Before the morning has whispered to them? Why must the anklet, so heavy and cold, Bind the young feet, before they are old? O Mother, O Father, why hasten the day, When the blossoms of youth are stolen away? Let the river of time in its own course flow, Let the child in her garden, in her innocence, grow. And one day, the world will be hers to embrace, And the shadows of the past, she will then erase. But for now, let her be, in her garden so wild, Let her live, let her breathe, for she is still a child.

Shaadi Male-Hasan-AI-singing
Shaadi Male

(MALE ) In the cradle of dawn, where the river's song flows, A child sits in her garden, where the marigold grows. Her dreams are like stars, untouched by night, Her laughter like birds, in their innocent flight. Yet the wind whispers tales, of a shadowed fate, A bride in the bud, her childhood's gate. The bindis, the bangles, the red of her veil, Cover the spark that no words can unveil. Why must the bloom be plucked from its stem, Before the morning has whispered to them? Why must the anklet, so heavy and cold, Bind the young feet, before they are old? O Mother, O Father, why hasten the day, When the blossoms of youth are stolen away? Let the river of time in its own course flow, Let the child in her garden, in her innocence, grow. And one day, the world will be hers to embrace, And the shadows of the past, she will then erase. But for now, let her be, in her garden so wild, Let her live, let her breathe, for she is still a child.

Sahar aur sham se kuch yun-Saksham-AI-singing
Sahar aur sham se kuch yun

सहर और शाम से कुछ यूँ गुज़रता जा रहा हूँ मैं, कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- तमन्ना-ए-मुहाल-ए-दिल को जज़्ब-ए-ज़िंदगी कर के, फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं") गुल-ए-रंगीँ ये कहता है कि खिलना हुस्न खोना है, मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- मिरा दिल भी अजब इक सागर-ए-ज़ौक़-ए-तमन्ना है, कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं") कहाँ तक एतिबार-ए-जान-ओ-जानों का तअल्लुक़ है, सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- जवानी जा रही है और मैं महव-ए-तमाशा हूँ, उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं") बहुत ऊँचा उड़ा लेकिन अब इस ओज-ए-तख़य्युल से, किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- 'नुशूर' आख़िर कहाँ तक फ़िक्र-ए-दुनिया दिल दुखाएगी, ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं") [Final Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") ग़म-ए-हस्ती को यूँ ही सजा बनाएँगे, ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है। (Group echoes "ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है")

दाऊद की कहानी-Anguri-AI-singing
दाऊद की कहानी

[Verse] एक साधारण चरवाहा था वो प्रभु में विश्वास उसका गहरा था जो हर पग पर उसने सच्चाई निभाई प्रभु की राह में हर कठिनाई पाई [Verse 2] जब समस्या आई घबराया नहीं प्रभु का नाम लिया मन से सही गोलियath से जब सामना हुआ प्रभु की ताकत पर वह अडिग था [Chorus] दाऊद की कहानी हमें सिखाती है प्रभु के प्रेम में सब मुसीबत घटाती है सच्चे दिल से जो पुकारा प्रभु को सारे दुःख दर्द वो छीन लेती है [Verse 3] वन में अकेला अक्सर गाया प्रभु का नाम गीतों में सजाया भीड़ में भी वह निर्भीक चला प्रभु की कृपा से जो रहा भला [Bridge] उसके साहस का कोई मुकाबला ना था प्रभु का प्रेम उसके संग आता था हर क़दम पर उसकी राह रोशन थी विश्वास में ही उसकी सबसे बड़ी जीत थी [Chorus] दाऊद की कहानी हमें सिखाती है प्रभु के प्रेम में सब मुसीबत घटाती है सच्चे दिल से जो पुकारा प्रभु को सारे दुःख दर्द वो छीन लेती है

Om..Alte Ideen in neuem Haus-Aaron-AI-singing
Om..Alte Ideen in neuem Haus

Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM

Alte Ideen in neuem Haus-Aaron-AI-singing
Alte Ideen in neuem Haus

Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM