वाणी गुणानु कथने श्रवनौ कथायां हस्तौ च कर्मसु मनस्तव पादयोर्न स्मृत्यां शिरस्तव निवासजगत्प्रणामे दृष्टि: सतां दर्शनेऽस्तु भवत्तनूनाम् बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे केसर तिलकं कृष्ण वरणं, केसर तिलकं कृष्ण वरणं राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे राजत वन मालं रूप रसालं राधारमणं हरे, हरे राजत वन मालं रूप रसालं राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे राधारमणं हरे, हरे वेणु कृत नादं आनंद अपारं राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे सुंदर मुदु हासं हरत विषादं राधारमणं हरे, हरे सुंदर मुदु हासं हरत विषादं राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे राधारमणं हरे, हरे गोरज मुख लसितं, भक्त चित वसितं राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे राधाउर हारं रास रसालं राधारमणं हरे, हरे राधाउर हारं रास रसालं राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे राधारमणं हर हरे भक्ताधीनं दीनदयालं राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे भक्तवत्सलं रसिकनरेशं राधारमणं हरे, हरे भक्तवत्सलं रसिकनरेशं राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे राधारमणं हरे, हरे गो पसु वेशं दास इन्द्रेशं राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे बृज जन प्रियतम बालमुकुन्दम राधारमणं हरे, हरे, राधारमणं हरे, हरे जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण (जय-जय राधारमण, प्यारो, राधारमण) आ, राधारमण, प्यारो, राधारमण
Spiritual, bhakti , vrindavan
Sanskrit
The lyrics evoke a deep sense of devotion, love, and reverence. There is a feeling of bliss and ecstatic joy in connecting with the divine, particularly through the imagery of radha and Krishna. It creates a serene and uplifting atmosphere that can inspire feelings of peace and spirituality.
The song is suitable for spiritual gatherings, religious ceremonies, meditation, or personal devotion. It can be used in temples or during celebrations that honor Lord Krishna and Radha, particularly during the festival of Holi or Janmashtami.
The song features melodic structures typical of Hindu devotional music, utilizing repetitive phrases to enhance the emotional connection. It incorporates elements of raga and talas from classical Indian music, creating a rhythmic flow that invites participation and chanting.
(MALE ) In the cradle of dawn, where the river's song flows, A child sits in her garden, where the marigold grows. Her dreams are like stars, untouched by night, Her laughter like birds, in their innocent flight. Yet the wind whispers tales, of a shadowed fate, A bride in the bud, her childhood's gate. The bindis, the bangles, the red of her veil, Cover the spark that no words can unveil. Why must the bloom be plucked from its stem, Before the morning has whispered to them? Why must the anklet, so heavy and cold, Bind the young feet, before they are old? O Mother, O Father, why hasten the day, When the blossoms of youth are stolen away? Let the river of time in its own course flow, Let the child in her garden, in her innocence, grow. And one day, the world will be hers to embrace, And the shadows of the past, she will then erase. But for now, let her be, in her garden so wild, Let her live, let her breathe, for she is still a child.
सहर और शाम से कुछ यूँ गुज़रता जा रहा हूँ मैं, कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि जीता जा रहा हूँ और मरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- तमन्ना-ए-मुहाल-ए-दिल को जज़्ब-ए-ज़िंदगी कर के, फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "फ़साना-ए-ज़ीस्त का पेचीदा करता जा रहा हूँ मैं") गुल-ए-रंगीँ ये कहता है कि खिलना हुस्न खोना है, मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "मगर गुंचा समझता है निखरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- मिरा दिल भी अजब इक सागर-ए-ज़ौक़-ए-तमन्ना है, कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "कि है ख़ाली का ख़ाली और भरता जा रहा हूँ मैं") कहाँ तक एतिबार-ए-जान-ओ-जानों का तअल्लुक़ है, सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "सँवरते जा रहे हैं वो सँवरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- जवानी जा रही है और मैं महव-ए-तमाशा हूँ, उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "उड़ी जाती है मंज़िल और ठहरता जा रहा हूँ मैं") बहुत ऊँचा उड़ा लेकिन अब इस ओज-ए-तख़य्युल से, किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "किसी दुनिया-ए-रंगीँ में उतरता जा रहा हूँ मैं") [Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") --- 'नुशूर' आख़िर कहाँ तक फ़िक्र-ए-दुनिया दिल दुखाएगी, ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं। (Group repeats: "ग़म-ए-हस्ती को ज़ौक़-ए-शेर करता जा रहा हूँ मैं") [Final Chorus] हो... ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है, हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है। (Group echoes "हर ज़ख़्म की ताब है, हर ग़म की सबब है") ग़म-ए-हस्ती को यूँ ही सजा बनाएँगे, ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है। (Group echoes "ये दिल की तलब है, ये दिल की तलब है")
(1) तूने सिखाई प्रेम की राह, हर दुख का हल और हर चाह। पहाड़ी पर जब तूने पुकारा, प्रेम से भरा तेरा सारा सहारा। धन्य हैं जो तेरी राह पर चलते, मन में दीन, शांति में ढलते। तूने सिखाई क्षमा की भाषा, तेरा ही है ये जीवन का आशा। --- (2) शत्रु से भी तूने प्रेम करना सिखाया, दूसरे गाल को आगे बढ़ाना बताया। भूले हम कैसे तेरा ये उपदेश, हर दिल में बसता है तेरा संदेश। आशीष दे, जो दिल में बसे, तेरे ही प्यार में सब दुःख हसे। तूने दिखाया सच्चा धर्म क्या है, जीवन का अर्थ, तेरे चरणों में अहसास है। --- (3) प्रभु की प्रार्थना तूने सिखाई, हर सुबह और रात हमें राह दिखाई। ईश्वर से विनती, क्षमा और दया, तेरे नाम का है ये मधुर साया। तू ही हमारे दुखों का साथी, हर दिल में तेरी ही शक्ति है बाकी। प्यार, विश्वास, और क्षमा का पाठ, तू ही हमें देता है सत्य का साथ। --- (4) "जो चाहो तुम, वही करो औरों संग," तेरी इस बात ने जीवन को भरा उमंग। हर दिन की चिंता से मुक्ति मिले, तेरे प्रेम में ही जीवन खिले। धन्य हो तेरे ये वचन, संग तेरे चलें हम हर क्षण। तेरे पहाड़ी उपदेश में सारा जहाँ, तेरे प्रेम का है ये अमर गान।
[Verse] प्रभु की राहों में चलते प्रेम का दिया जलाते सत्य की राह पे चलते हर पल उसमें रमते [Verse 2] युहन्ना ने दिखाया प्रभु का प्यारा साया विश्वास की डोर थामी प्रेम से भर दी गाथा [Chorus] प्रभु का प्रेम है प्यारा युहन्ना का सही सहारा हर पल का है वो चितेरा सच्चा विश्वास का पहरा [Verse 3] तू भी अपनाना ये राह प्रेम का है सच्चा चाह सत्य का अनुभव करना विश्वास का दिया जलाना [Verse 4] युहन्ना जैसा बन जाना प्रभु पे विश्वास जताना हर गम में मुस्कराना हर सुख में गीत गाना [Chorus] प्रभु का प्रेम है प्यारा युहन्ना का सही सहारा हर पल का है वो चितेरा सच्चा विश्वास का पहरा
[Verse] एक साधारण चरवाहा था वो प्रभु में विश्वास उसका गहरा था जो हर पग पर उसने सच्चाई निभाई प्रभु की राह में हर कठिनाई पाई [Verse 2] जब समस्या आई घबराया नहीं प्रभु का नाम लिया मन से सही गोलियath से जब सामना हुआ प्रभु की ताकत पर वह अडिग था [Chorus] दाऊद की कहानी हमें सिखाती है प्रभु के प्रेम में सब मुसीबत घटाती है सच्चे दिल से जो पुकारा प्रभु को सारे दुःख दर्द वो छीन लेती है [Verse 3] वन में अकेला अक्सर गाया प्रभु का नाम गीतों में सजाया भीड़ में भी वह निर्भीक चला प्रभु की कृपा से जो रहा भला [Bridge] उसके साहस का कोई मुकाबला ना था प्रभु का प्रेम उसके संग आता था हर क़दम पर उसकी राह रोशन थी विश्वास में ही उसकी सबसे बड़ी जीत थी [Chorus] दाऊद की कहानी हमें सिखाती है प्रभु के प्रेम में सब मुसीबत घटाती है सच्चे दिल से जो पुकारा प्रभु को सारे दुःख दर्द वो छीन लेती है
Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM
Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ meine Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM
(Verse 1) शिव की महिमा, अनंत है उसकी शक्ति, कैलाश पर्वत पर विराजे, वो है सच्ची भक्ति। जटाओं में गंगा, तांडव में लय, ब्रह्मा और विष्णु, उसके चरणों में बहे। (Chorus) ओम नमः शिवाय, ये है मंत्र सच्चा, हर संकट में साथ, वो है सदा हमारा रक्षक। ध्यान में उसकी छवि, शांति का अनुभव, भक्तों की पुकार में, सुनता वो हर स्वर। (Verse 2) सिर पर चंद्रमा, त्रिशूल हाथ में, नागों की माला, वो है अद्भुत स्वभाव में। आग में जलते, फिर भी वो है ठंडा, महाकाल का रूप, सबको देता है संजीवनी। (Chorus) ओम नमः शिवाय, ये है मंत्र सच्चा, हर संकट में साथ, वो है सदा हमारा रक्षक। ध्यान में उसकी छवि, शांति का अनुभव, भक्तों की पुकार में, सुनता वो हर स्वर। (Bridge) दुनिया की परेशानियाँ, वो करता दूर, भक्ति में लीन होकर, मिलता है सच्चा नूर। शिवरात्रि की रात, जब भक्त करते हैं ध्यान, हर दिल में बसी है, भोलेनाथ की पहचान। (Outro) शिव की भक्ति में, है एक अलग ही जादू, हर मन को भाए, हर दिल को दे सुकून। ओम नमः शिवाय, सदा रहे तेरा नाम, तेरी कृपा से ही, हम सब हैं एकत्रित इस धाम।
Refrain: Die Taschen sind leer, doch die Herzen sind voll OM MANI PADME HUM Ich bin so wie ich bin und so wie ich soll. OM MANI BENDE HUM Ich kenn mein woher und ich fühl mein warum. OM MANI PADME HUM Schließ mein Augen, versenke mich stumm OM MANI BENDE HUM (Strophe) Menschen sind meine Seele was ich von ihnen stehle sind Gefühle und Gedanken einige davon erkranken umschlingen mich mit ihren Ranken fesseln mich, ich bleibe stehen kann vor Schmerzen kaum noch sehen Doch andere erquicken, lassen mich auf neue Gipfel blicken mit Freude und Güte im Gewissen in schöne neue Meere hissen lassen mich mit neuem Mut mein Leben gehen, das tut gut. (Refrain) Strophe: Fremde Gedanken, Inspiration Sind Zukunft oder vergangen Keine Wahl ich bleib in mir wohn Im Dialog mit geistigen Schlangen Such nach mir, finde mich nicht Stress in der Brust, ich atme ein Affe im Käfig in grellem Licht Wilde Gedanken, zittriges Sein (Refrain) Strophe: Das in mir drin, das bin ich nicht Es geht rein und geht wieder raus Nur ein Gesicht, ne mögliche Sicht Affe beruhigt sich und atmet aus Auf einmal viel Raum, plötzliche Stille Ein weißes Blatt, neues Kapitel Anfang des Pfades mit neuer Brille Ich wähle die Worte, wähle den Titel (Refrain) OM MANI BENDE HUM Ommmmm Ommmmm OM MANI PADME HUM
oṃ dzambhala dzalen drayé siddhi hūng oṃ dzambhala dzalen drayé dhana médhi sarwa siddhi hūng oṃ dzambhala dzalen drayé hūng hrīh siddhi pala hūng hrīh oṃ dzambhala mamā sarwa siddhi hūng oṃ dzambhala yé sōhā oṃ dzambhala dzalen drayé sarwa siddhi pala hūng āh oṃ dzambhala dzalen drayé hūng oṃ dzambhala dzalen drayé dhana sōhā oṃ dzambhala dzalen drayé sōhā oṃ āh hūng buddha benza ratna pema karma dzambhala siddhi pala hūng oṃ dzambhala dzalen drayé sōhā oṃ dzambhala dzalen drayé hrīh dhana médhi hūng sōhā
प्यार जो बेशुमार देते हैं फूल मांगें तो خار देते हैं ये ताल्लुक़ तो मार देते हैं चंद लम्हे तुम्हारी क़ुर्बत के मेरा जीवन निखार देते हैं अब तो ढूंढे से भी नहीं मिलते वो जो बदले में प्यार देते हैं बोझ लगता है ये ताल्लुक़ तो लाईए हम उतार देते हैं
The Lord is my shepherd; I shall not want. He maketh me to lie down in green pastures: he leadeth me beside the still waters. He restoreth my soul: he leadeth me in the paths of righteousness for his name's sake. Yea, though I walk through the valley of the shadow of death, I will fear no evil: for thou art with me; thy rod and thy staff they comfort me. Thou preparest a table before me in the presence of mine enemies: thou anointest my head with oil; my cup runneth over. Surely goodness and mercy shall follow me all the days of my life: and I will dwell in the house of the Lord for ever.